NEELAM GUPTA

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लेखनी प्रतियोगिता -29-Jan-2022 नारी की मुस्कान

अपनी झूठी मुस्कान से सारे घर की ,खुशियां बांधे रखती है। 

ऐसी होती है नारी….दिल में होता है दर्द अधरों पर मुस्कान छाई रहती है।


आंखों के मोतियों को चुपके से बहाती है।

कोई देख ले इससे पहले झट से मिटाती है।


आंखों से भी दिखा दे मुस्कुरा के ,यह वह नारी है।

सब की खुशी में खुश रह कर, अपने आप को मिटाती है।


तहरीर इसकी क्या करें हम, कितने शब्दों में।

अपनी तकदीर के शब्दों को, आंसुओं से मिटाती है।


तकदीर की रेखाएं जोड़ लेती है औरों की खुशियों से ।

खुद बनकर शमशीर , अपनी इच्छाएं मिटाती है।


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7 Comments

Seema Priyadarshini sahay

30-Jan-2022 08:22 PM

बहुत खूबसूरत

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Sudhanshu pabdey

30-Jan-2022 10:36 AM

Very nice 👌

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Swati chourasia

30-Jan-2022 09:45 AM

बहुत सुंदर रचना 👌

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